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मयूर महल में विराज करेंगी मा दुर्गा।


 
गुवाहाटी 18 सितम्बर 2025: नगर के पांडु–मालिगांव इलाके का सबसे बड़ा और लोकप्रिय दुर्गापूजा, रेस्ट कैंप कालीबाड़ी पूजा, इस बार अपने सतात्तर वें वर्ष में प्रवेश कर रहा है। हर साल की तरह इस बार भी दूर-दूर से दर्शक पूजा देखने आएंगे।  यह पूजा केवल धार्मिक उत्सव नहीं है, बल्कि यह सामाजिक बंधन, संस्कृति का उत्सव और भक्ति व आनंद का संगम है।

पूजा समिति के अध्यक्ष अमल चौधरी और महासचिव अमित राय ने बताया कि इस बार बजट साठ लाख रुपये है। पूजा की थीम चुनी गई है “मयूर महल”। पंडाल के अंदर नवदुर्गा की प्रतिमा स्थापित होगी और बाहर मयूर की कलाकृति बनाई जाएगी। पंडाल निर्माण का दायित्व चंदननगर के प्रसिद्ध कारीगर मृन्मय घोष को दिया गया है।  समिति का मानना है कि यह भव्य थीम दर्शकों का मन मोह लेगी।

दुर्गा प्रतिमा में इस बार पारंपरिक शैली झलकेगी। पश्चिम बंगाल के हुगली जिले के मूर्तिकार काशीनाथ पाल प्रतिमा का निर्माण करेंगे। उनकी बनाई प्रतिमा में पुरानी पारंपरिक मूर्तियों की सुंदरता और विशेषता देखने को मिलेगी। 

रेस्ट कैंप कालीबाड़ी दुर्गापूजा की एक और खासियत है विशाल मेला। पूजा के दिनों से ही मेला शुरू हो जाएगा, जो न केवल पांडु क्षेत्र बल्कि आसपास से भी लोगों को आकर्षित करता है। बाहर से भी मेले की पार्टियाँ इसमें हिस्सा लेंगी। स्वादिष्ट पकवानों के साथ बच्चों और किशोरों के लिए झूले व खेल के स्टॉल लगाए जाएंगे। बच्चों के लिए यह मेला खास आकर्षण का केंद्र रहेगा। दर्शकों की सुविधा के लिए व्यवस्थित पार्किंग की भी व्यवस्था होगी।


उल्लेखनीय हैं कि पूजा के समय सुरक्षा व्यवस्था पर भी विशेष ध्यान दिया गया है। सरकारी नियमों का पालन करते हुए पंडाल में सीसी कैमरे लगाए जाएंगे और निजी सुरक्षा बल भी तैनात रहेंगे। पूरे परिसर में कड़ी सुरक्षा रहेगी ताकि श्रद्धालु निश्चिंत होकर पूजा का आनंद ले सकें।

इस बार दुर्गापूजा का शुभारंभ पंचमी तिथि से होगा  हालांकि रेस्ट कैंप कालीबाड़ी पूजा अपने बड़े बजट और भव्य आयोजन के लिए प्रसिद्ध है, लेकिन हाल के वर्षों में पांडु की नई पीढ़ी के छोटे बजट वाले पूजा आयोजन भी विविध थीम और सृजनशीलता के बल पर लोकप्रिय हो रहे हैं। ये नए प्रयोग बड़े आयोजनों को भी चुनौती दे रहे हैं।

रेस्ट कैंप कालीबाड़ी सार्वजनिक दुर्गापूजा न केवल पांडु–मालिगांव क्षेत्र के लिए, बल्कि पूरे गुवाहाटी के पूजा प्रेमियों के लिए विशेष आकर्षण है। इस साल की थीम, कला, रोशनी और मूर्तिकला मिलकर इस पूजा को ऐतिहासिक स्वरूप प्रदान करेंगे।

 

देबजानी पाटीकर 

 

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