आसमान छूती कीमतों से परेशान छठ भक्त
गुवाहाटी, 25 अक्टूबर – हर साल की तरह इस साल भी पांडु नदी के किनारे और मालिगांव स्टेडियम के पास स्थित तालाब के किनारे छठ पूजा का आयोजन किया गया है।
कार्तिक मास के शुक्ल पक्ष की चतुर्थी तिथि को छठ पूजा मनाई जाती है। विशेष रूप से बिहार और उत्तर प्रदेश के लोग इसे बड़ी श्रद्धा और उत्साह के साथ मनाते हैं।
छठ पूजा के पहले दिन यानी चतुर्दशी के दिन व्रती महिलाएँ पवित्र वस्त्र धारण कर बिना नमक के चने की दाल, मीठा कद्दू और चावल बनाकर परिवार के अन्य सदस्यों के साथ प्रसाद के रूप में ग्रहण करती हैं।
छठ पूजा के दूसरे दिन यानी पंचमी के दिन खरना व्रत का पालन किया जाता है। इसी दिन से छठ व्रती 36 घंटे का निर्जला उपवास आरंभ करते हैं।
तीसरा दिन होता है षष्ठी का। इस दिन शाम को छठ व्रती महिलाएँ गंगा घाट या किसी बड़े जलाशय के किनारे गन्ने, हल्दी के पौधे और पूजा की अन्य सामग्रियों के साथ अस्त होते सूर्य को अर्घ्य अर्पित करती हैं।
चौथा दिन होता है सप्तमी का। इस दिन प्रातःकाल सूर्योदय के समय व्रती महिलाएँ अपने परिवार के साथ छठ घाट पर जाकर सूर्य देव को अर्घ्य अर्पित कर उपवास तोड़ती हैं।
छठ पूजा में बांस की डलिया और टोकरियों का विशेष उपयोग किया जाता है। पूजा से पहले बाजारों में व्यापारी बांस से बनी वस्तुओं की बिक्री में व्यस्त हो जाते हैं। पांडु बाजार में बांस की वस्तुएँ बेचने वाली महिला व्यवसायी दुलारी बासफोर ने बताया कि लगातार बढ़ती महंगाई के कारण बांस की कीमतें बढ़ गई हैं, जिसके चलते बांस से बनी वस्तुएँ महंगे दामों पर बेची जा रही हैं। वे शादी के बाद से यह व्यवसाय कर रही हैं। इस वर्ष प्रत्येक बांस की डलिया 300 से 460 रुपये, बांस की कूल्हड़ 100 से 250 रुपये, और बांस की टोकरी 200 से 300 रुपये में बिक रही है। वहीं, पीतल की कूल्हड़ वजन के अनुसार 1000 से 1200 रुपये तक में बेची जा रही है।
इसके साथ ही फलों के दाम भी आसमान छू रहे हैं। प्रत्येक नारियल 80 से 100 रुपये, अनानास 80 से 100 रुपये, गन्ना 150 से 200 रुपये, सेब 100 से 150 रुपये और मौसमी 100 से 120 रुपये किलो बेचे जा रहे हैं। इसके अलावा पूजा की अन्य सामग्रियाँ भी उपलब्ध हैं।
अन्य त्योहारों की तरह छठ पूजा से भी कई पारंपरिक रीति-रिवाज और सांस्कृतिक तत्व जुड़े हुए हैं। बिहार और उत्तर प्रदेश के लोगों के लिए यह एक ऐसा अवसर होता है जब पूरा समुदाय और परिवार एकजुट होकर श्रद्धा और भक्ति के साथ उत्सव मनाता है।


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